Thursday 30 September 2021
5 कैब ड्राइवर, नाम: आसिफ, नवाज, सलमान… 20 साल की युवती को घेर कर छेड़ा, ₹5 लाख माँगे
ମୁସଲମାନଙ୍କ କୁକୃତ୍ୟ
5 कैब ड्राइवर, नाम: आसिफ, नवाज, सलमान… 20 साल की युवती को घेर कर छेड़ा, ₹5 लाख माँगेWednesday 29 September 2021
सड़क पर नमाज हिंदू-मुस्लिम की सहमति से…’ – गुरुग्राम पुलिस ने डिलीट किया ट्वीट, अब देना होगा RTI का जवाब
ମୁସଲମାନଙ୍କ ଦୌରାତ୍ମ୍ଯ
जमशेदपुर में अंधविश्वास के नाम पर प्रताड़ना और यौन शोषण
https://www.facebook.com/ watch/?v=834434077242788
सड़क पर नमाज हिंदू-मुस्लिम की सहमति से…’ – गुरुग्राम पुलिस ने डिलीट किया ट्वीट, अब देना होगा RTI का जवाब
https://hindi.opindia.com/ national/gurugram-police- deleted-namaz-tweet-hindu- muslim-mutual-understanding/
जमशेदपुर में अंधविश्वास के नाम पर प्रताड़ना और यौन शोषण
ମୁସଲମାନଙ୍କ ଦୌରାତ୍ମ୍ଯ
जमशेदपुर में अंधविश्वास के नाम पर प्रताड़ना और यौन शोषण
https://www.facebook.com/ watch/?v=834434077242788
सड़क पर नमाज हिंदू-मुस्लिम की सहमति से…’ – गुरुग्राम पुलिस ने डिलीट किया ट्वीट, अब देना होगा RTI का जवाब
https://hindi.opindia.com/ national/gurugram-police- deleted-namaz-tweet-hindu- muslim-mutual-understanding/
Thursday 12 August 2021
8 साल के हिंदू बच्चे को होगी फाँसी? इस्लामी किताबों की ‘बेइज्जती’ से हुई ईशनिंदा… कई हिंदू परिवार घर छोड़ भागे
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ किस तरह का बर्ताव किया जाता है, इसको इस घटना से आसानी से समझा जा सकता है कि वहाँ 8 साल के बच्चे के खिलाफ भी ईशनिंदा के तहत कार्रवाई कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी पाकिस्तान में 8 साल के हिंदू बच्चे पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तान में ईशनिंदा की कार्रवाई झेलने वाला वह अब तक का सबसे कम उम्र का व्यक्ति बन गया है। उसे पुलिस की सुरक्षा में हिरासत में रखा गया है।
मामला पंजाब प्रांत के रहीम यार खान जिले का है, जहाँ पिछले सप्ताह बच्चे को ईशनिंदा के मामले में जमानत दे दी गई थी। इसके बाद से बच्चे का परिवार अंडर ग्राउंड हो गया है। हालाँकि, पिछले सप्ताह ही जमानत के विरोध में कट्टरपंथियों की भीड़ ने एक हिंदू मंदिर पर भी हमला कर दिया था। इसके बाद कई हिंदू परिवार वहाँ से अपना घर छोड़कर चले गए हैं। फिलहाल, इलाके में सेना को तैनात किया गया है। शनिवार (7 अगस्त 2021) को मंदिर पर हमले के मामले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, 8 साल के हिंदू बच्चे पर आरोप है कि उसने पिछले महीने एक मदरसे के पुस्तकालय में एक कालीन पर जानबूझकर पेशाब किया, जहाँ पर धार्मिक किताबें रखी गई थीं। वहाँ के कानून के अनुसार यह ईशनिंदा है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों में मौत की सजा हो सकती है।
द गार्जियन नाम की न्यूज वेबसाइट को लड़के के परिवार ने बताया, “उसे (लड़का) ईशनिंदा क्या है, ये भी नहीं पता और उसे जबरन मामले में फँसाया जा रहा है। उसे अभी भी समझ नहीं आया है कि उसका अपराध क्या था और उसे एक हफ्ते के लिए जेल में क्यों रखा गया था? हमने अपनी दुकानें और काम छोड़ दिया है। पूरा समुदाय डरा हुआ है और हमें उनके (मुस्लिमों) बदले की कार्रवाई का डर है। हम इस क्षेत्र में वापस नहीं जाना चाहते हैं। हमें नहीं लगता कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस और सार्थक कार्रवाई की जाएगी।”
एक बच्चे के खिलाफ दर्ज ईशनिंदा के आरोपों ने कानूनी विशेषज्ञों को चौंका दिया है। इससे पहले पाकिस्तान में इतनी कम उम्र के बच्चों ईशनिंदा का आरोप नहीं लगा था।
इस मामले में पाकिस्तानी सांसद और पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रमुख रमेश कुमार ने कहा, “मंदिर पर हमले और आठ साल के नाबालिग लड़के के खिलाफ ईशनिंदा के आरोपों ने मुझे वास्तव में झकझोर कर रख दिया है। हमले के डर से 100 से अधिक हिंदुओं ने अपने घर खाली कर दिए हैं।”
वहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता कपिल देव ने 8 साल के नाबालिग बच्चे पर लगे आरोपों को वापस लेने की माँग की और सरकार से अपना घर छोड़कर जा रहे हिंदुओं को सुरक्षा देने की माँग की। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हिंदू मंदिरों पर हमले बढ़े हैं, जो चरमपंथ और कट्टरता के बढ़ते स्तर को दर्शाता है। हाल के हमले हिंदुओं के उत्पीड़न की एक नई लहर प्रतीत होते हैं।”
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजदूत को किया तलब
हिंदू मंदिर को निशाना बनाने के मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजदूत को तलब कर पाकिस्तान के मुस्लिम बहुल इलाके में रहने वाले हिंदू समुदाय को सुरक्षा देने की माँग की।
संदर्भ : OpIndia
Thursday 10 June 2021
हिंदू महिला पर छिड़का केरोसिन, जलाकर मार डाला
केरल के अंचल में हिंदू महिला को जिंदा जलाकर मारने का मामला उजागर हुआ है। जानकारी के मुताबिक महिला अपने पहले पति से अलग होने के बाद पिछले 2 साल से प्रेमी के साथ लिव-इन में रहती थी। हाल में उनकी किसी बात को लेकर कहासुनी हुई और प्रेमी ने उसे आग के हवाले कर दिया। घटना मंगलवार (जून 8, 2021) शाम की है।
पुलिस के अनुसार, आरोपित युवक की पहचान शाहनवाज (Shanavas) के तौर पर हुई है। इसने एदामुलक्कल थुम्बिककुनिल निवासी 28 वर्षीय अथिरा को केरोसिन डालकर जला दिया। घटना को अंजाम देते वक्त उसका शरीर भी कई जगह से थोड़ा-थोड़ा जल गया। इसके कारण अंचल पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और तिरुवनंतपुरम के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया।
स्थानीयों के अनुसार पहले उन्होंने अथिरा की चीखने की आवाजें सुनी। जब बाहर निकल कर देखा तो अथिरा आग की लपटों में लिपटी अपने घर से भाग रही थी। सबने मिलकर उसे जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती करवाया। मरने से पहले अथिरा ने डॉक्टरों और पुलिस को बताया कि शाहनवाज पहले से शादीशुदा था। उसी ने उस पर केरोसिन डाला और आग लगाई।
उल्लेखनीय है कि कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि अथिरा को केरोसिन से इसलिए जलाया गया क्योंकि वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर लगातार अपने वीडियो डालती थी जो शाहनवाज को पसंद नहीं था। पुलिस के अनुसार अथिरा और शाहनवाज में मंगलवार की शाम 7 बजे किसी बात पर कहासुनी हुई। इसी गुस्से में उसने महिला पर केरोसिन डाल आग लगा दी।
अब पुलिस इस मामले में अथिरा के आखिरी बयान के आधार पर आरोपित पर निगरानी बनाए हुए हैं। अभी तक की जाँच में सामने आया है कि दोनों पिछले दो साल से साथ रहते थे। इनकी एक 6 महीने की बच्ची है और दोनों की पहली शादी से 2-2 बच्चे थे।
https://hindi.opindia.com/national/kerala-hindu-women-ablaze-live-in-partner-shanavas/
Friday 4 June 2021
‘हिंदुत्व ठगों’ को धमकी, भगवा व स्वस्तिक का अपमान: जो राकेश पंडिता के हत्यारों की भाषा, लेफ्ट और विपक्ष की वही है बोली
जम्मू कश्मीर के त्राल में भाजपा नेता राकेश पंडिता की हत्या कर दी गई। अभी एक साल भी पूरे नहीं हुए, जब जून 2020 में अनंतनाग में सरपंच अजय पंडिता की हत्या की गई थी। अजय कॉन्ग्रेस के नेता थे, राकेश भाजपा के हैं। जम्मू कश्मीर में इस्लामी आतंकियों के लिए पार्टी मायने नहीं रखती, बल्कि धर्म मायने रखता है। अगर आप हिन्दू हैं और अपने धर्म पर गर्व करते हैं, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने अच्छे इंसान हैं।
कश्मीरी पंडितों के लिए ये सब नया नहीं है। हैरान कर देने वाली बात ये है कि ये सब कुछ उस नए जम्मू कश्मीर में हो रहा है, जहाँ अनुच्छेद-370 के प्रावधानों के लिए अब कोई जगह नहीं है। ये सब उस जम्मू कश्मीर में हो रहा है, जहाँ सेना और पुलिस लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ उनकी भलाई के लिए भी काम करते हैं। उस जम्मू कश्मीर में हो रहा है, जहाँ सत्ता अब उन आतंकियों के प्रति नरम रुख रखने वाले अब्दुल्लाह या मुफ़्ती परिवार के पास नहीं है।
दक्षिण कश्मीर के त्राल में राकेश पंडिता की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैय्यबा’ के मुखौटा संगठन ‘पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ ने ली है। आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि संगठन ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लेते हुए किन शब्दों का प्रयोग किया है। उसने अपने ‘प्रेस रिलीज’ में कहा है कि उसके कैडर ने ‘हिन्दू फासिस्ट राकेश पंडिता को न्यूट्रलाइज कर दिया।’ आतंकी संगठन ने दावा किया कि पंडिता मुखबिरों का एक नेटवर्क तैयार कर रहे थे।
साथ ही उन पर ड्रग्स की तस्करी से लेकर अन्य ‘अनैतिक क्रियाकलापों’ में लिप्त होने का भी आरोप लगाया। PAFF ने अपनी ‘प्रेस रिलीज’ में कहा, “अगर हिंदुत्व ठग सोचते हैं कि उनके दुष्ट इरादे कश्मीर में जड़ जमा लेंगे तो वो बहुत बड़े भ्रम में जी रहे हैं। उनकी हर एक गतिविधि पर हमारी नजर है और हम समुचित तरीके से उनसे निपटेंगे।” इस ‘प्रेस नोट’ में स्वस्तिक वाले भगवा झंडे में तीर मारते हुए भी प्रदर्शित किया गया है।
ये काफी डरावना है। क्या ये वही भाषा नहीं है, जिसका सहारा लेकर भारत के विपक्षी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधते रहे हैं? क्या ये वही भाषा नहीं है, जिसका इस्तेमाल कर के हिन्दुओं को नीचा दिखाया जाता रहा है? अगस्त 2018 में कॉन्ग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि वो हिंदुत्व के किसी भी रूप में विश्वास नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा था कि सॉफ्ट या हार्ड हिंदुत्व में उनका कोई भरोसा नहीं है।
क्या हिंदुत्व सचमुच में एक ऐसा शब्द है, जो आतंकवाद का पर्यायवाची है? वीर सावरकर ने इसकी परिभाषा देते हुए कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति जो सिन्धु से समुद्र तक फैली भारत भूमि को साधिकार अपनी पितृभूमि एवं पुण्यभूमि मानता है, वह हिन्दू है। आतंकवादियों के लिए भारत को अपना देश मानना गलत हो सकता है, लेकिन भारत के मुख्यधारा की राजनीति से जुड़े लोग अगर इस तरह की बयानबाजी करें तो इसका अर्थ है कि उनकी और आतंकियों की भाषा व सोच समान है।
भारत में भी वामपंथी दल हैं, जो यही सोच रखते हैं। कोरोना काल में भी CPI(M) जैसे दल इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल करते रहे। इस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को ‘कोरोना कुप्रबंधन’ के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इसका कारण ‘हिंदुत्व दृष्टिकोण’ है। अर्थात, कोरोना के कारण लोगों की मौत के लिए हिंदुत्व को दोष दे दिया गया। पार्टी ने ‘हिंदुत्व ड्रामा’, ‘हिंदुत्व नासिका’ और ‘हिंदुत्व दृष्टिकोण’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया।
इसी तरह CPI ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध के लिए भी ‘हिंदुत्व समूहों का घृणास्पद अभियान’ को जिम्मेदार ठहराया। हिंदुत्व को एक जहरीला प्रोपेगंडा करार दिया। अगर कहीं कोई मुस्लिम मरता है तो इसके लिए ‘हिंदुत्व’ दोषी है – ये बात लोगों के मन में भरी गई। अगर इसी सोच से प्रभावित होकर कोई आतंकवादी बन जाए और हिन्दुओं की हत्या करने लगे तो ऐसे दलों की मंशा सफल होती दिखती है।
फासिस्ट – ये एक ऐसा शब्द है जिसे सामान्य बना दिया गया है। अब आतंकी भी उसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। शाहीन बाग़ आंदोलन और CAA विरोधी अभियान में नरेंद्र मोदी को न जाने कितनी बार फासिस्ट कहा गया होगा। स्वस्तिक का अपमान तो वहाँ भी हुआ था। स्वस्तिक का अपमान आतंकी भी अपनी ‘प्रेस नोट’ में कर रहे हैं। गीतकार जावेद अख्तर ने पीएम मोदी को फासिस्ट कहा। पाकिस्तानी अख़बार Dawn ने भी इस भाषा का इस्तेमाल किया।
यहाँ तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें एक व्यक्ति झाड़ू से स्वस्तिक को मार रहा था। पत्रकार सबा नकवी ने सोशल मीडिया पर स्वस्तिक के टुकड़े-टुकड़े होने वाली तस्वीर शेयर की। घृणा फैलाते-फैलाते अब यही हरकतें लाशें गिराने का माध्यम भी बन रही हैं। AltNews जैसे मीडिया संस्थान ने स्वस्तिक को लेकर गलत सूचनाएँ फैलाईं। उसने स्वस्तिक के अपमान को ढकने की कोशिश की थी।
तथाकथित इतिहासकार रामचंद्र गुहा से लेकर वामपंथी दलों तक ने उन्हें फासिस्ट कहा। अब हिन्दुओं को फासिस्ट कह कर मारा जा रहा है। हिटलर ने 60 लाख यहूदियों की बेरहम तरीके से हत्या कराई थी। क्या किसी हिन्दू पर किसी मुस्लिम को थप्पड़ मारने का झूठा आरोप भी लग जाए तो इसके लिए उसकी तुलना 60 लाख लोगों के हत्यारे से कर दी जाएगी? इसे ही नैरेटिव गढ़ना कहते हैं। यहाँ लोग तथ्य को नज़रअंदाज़ कर भाषा पकड़ते हैं।
ये भाषा खूनी हो जाती है और इसके दुष्परिणाम हिन्दुओं को भुगतने पड़ते हैं। कभी राकेश पंडिता को, कभी अजय पंडिता को। अगर आज कोई ऐसा आतंकी संगठन ऐसा कह रहा है कि उसकी ‘हिंदुत्व ठगों’ की हर एक गतिविधि पर नजर है, तो ये खतरे से खाली नहीं है। 56 वर्षीय राकेश पंडिता अपने सुरक्षा गार्ड्स को छोड़ कर ही जम्मू गए थे। फिर वो त्राल में अपने दोस्त मुस्ताक अहमद से मिलने गए।
उन पर नजर रखी जा रही थी, तभी तो सुरक्षा गार्ड्स को न पाकर उनकी हत्या कर दी गई। किसी ग्रामीण ने ही उनकी मुखबिरी की थी, ऐसा उनके करीबियों द्वारा शक जताया जा रहा है। जम्मू कश्मीर भाजपा इसे पाकिस्तान की करतूत बता रही है। लेकिन, असली दोषी यहाँ के ही वो नेता और मीडिया समूह हैं, जो हिंदुत्व को बार-बार ‘आतंकवाद’ के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग में लाते हैं। हिन्दुओं को बदनाम कर के उनके खिलाफ लोगों को बरगलाते हैं।
किसी अच्छी चीज को भी हजार लोग हजार जगह हजार बार गाली दें तो लोगों को लगने ही लगेगा कि इसमें कुछ न कुछ खोट है। ‘हिंदुत्व’ को लेकर यही किया जा रहा है, जहाँ पाकिस्तान, इस्लामी आतंकी, लेफ्ट और कुछ विपक्षी नेता एक ही पन्ने पर हैं। ‘मॉब लिंचिंग’ के अफवाह से लेकर हिन्दू प्रतीकों के अपमान तक, उन्होंने ब्रेनवॉश कर के लोगों, खासकर मुस्लिमों के मन में ये बिठाया है कि उनकी हर समस्या के लिए हिन्दू ही दोषी हैं।
राकेश पंडिता के बेटे पारस ने पिता की मौत के पीछे किसी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया और कहा, ”जब उनकी डेथ हुई थी तो उससे पहले उन्होंने मुझे फोन किया था, अब जब मैं सोच रहा हूँ तो लग रहा है कि उन्हें पता था कि ऐसा कुछ होने वाला है। धोखा दिया या क्या पता किसी ने मिलीभगत की हो।” राकेश पंडिता की पत्नी ने कहा कि कश्मीरी पंडिता यहाँ के कट्टरपंथियों को खटकते हैं, इसीलिए उनके पति की हत्या कर दी गई। उनके अनुसार, कट्टरपंथी कहते थे कि त्राल में कई लोग ऐसे थे जो कहते थे कि मुस्लिम ही अध्यक्ष बनेगा हिंदू नहीं।
https://hindi.opindia.com/opinion/political-issues/rakesh-pandita-murder-peoples-anti-fascist-front-call-him-hindutva-thug-life-use-same-language-to-target-modi/
Thursday 20 May 2021
ନିଶାଦ୍ରବ୍ୟ ଚାଲାଣ ମୁଖ୍ୟ କାର୍ପଟଦାର ସେକ୍ ଆସାରୁଦ୍ଦୁନି ଗିରଫ
ନିଶାଦ୍ରବ୍ୟ ଚାଲାଣ
ମୁଖ୍ୟ କାର୍ପଟଦାର ସେକ୍ ଆସାରୁଦ୍ଦୁନି ଗିରଫ
http://epaper.prameyanews.com/ m/515295/60a41c2252831
Monday 12 April 2021
भारत को इस्लामी मुल्क बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे सभी मुस्लिम, अब घोषित हो हिंदू राष्ट्र’: केरल के 7 बार के MLA ने लव जिहाद भी कबूला
12 April, 2021
केरल के विधायक PC जॉर्ज ने राज्य में ‘लव जिहाद’ की वास्तविकता को न सिर्फ स्वीकार किया है, बल्कि ये भी कहा है कि भारत को अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि देश के सभी मुस्लिम मिल कर भारत को एक इस्लामी मुल्क बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक है। उन्होंने केरल के इडुक्की स्थित थोडुपुझा में ये बातें कही।
उन्होंने आदिवासियों के कल्याण के लिए कार्य करने वाली NGO ‘HDRC इंडिया’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को तुरंत ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि मुस्लिम समाज 2030 तक इसे इस्लामी मुल्क बनाने के काम पर लगा हुआ है। PC जॉर्ज ने कहा कि ये काम तेज़ी से चल रहा था, लेकिन बीच में PM मोदी ने जिस तरह से नोटबंदी की, उससे ये प्रक्रिया धीमी हो गई। उन्होंने कहा, “लव जिहाद वास्तविक है।”
इस दौरान PC जॉर्ज ने फ्रांस सहित अन्य यूरोपियन देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह से ईसाई देश में घुसपैठ कर मुस्लिम जबरन इस्लाम कबूल करवा रहे हैं, ताकि उन्हें इस्लामी मुल्क बनाया जा सके- ये भयावह है। उन्होंने पूछा कि क्या भारत को किसी समुदाय विशेष के पास जाने दिया जा सकता है? उन्होंने कहा कि इस विषय पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है और किसी को तो आवाज़ उठानी ही पड़ेगी।
PC जॉर्ज ने कहा, “दुनिया भर के अन्य देशों को देखिए। कई पूँजीवादी राष्ट्र हैं तो कितने ही गरीब देश भी हैं। फिर आ जाते हैं भारत जैसे देश, जो तीसरी दुनिया का हिस्सा हैं। सभी देश किसी न किसी मजहब को प्राथमिकता देते हैं। अरब मुल्कों की बात करें तो वहाँ इस्लाम न सिर्फ आधिकारिक मजहब है, बल्कि जो भी चीज इस्लामी नहीं है उसे अनुचित माना जाता है। अमेरिका जैसे भी इस जाल में फँस रहे हैं, लेकिन चीजें अब बदल रही हैं।”
उन्होंने कहा फ्रांस जैसे कई ईसाई देश का अतिक्रमण कर उसे इस्लामी बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘लव जिहाद’ की वास्तविकता से इनकार किया है, लेकिन वे जानते हैं कि ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन सारी समस्याओं का एक ही समाधान है- भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना। PC जॉर्ज इससे पहले भी विवादों में रहे हैं। केरल की महिला आयोग की अध्यक्ष ने उन पर धमकी देने के आरोप लगाए थे।
बता दें कि पिछले 31 वर्षों में 7 बार विधायक चुने जाने वाले प्लनथोट्टाथिल चाको जॉर्ज 2011-15 में कॉन्ग्रेस की सरकार के दौरान केरल विधानसभा के चीफ व्हिप भी रहे हैं। उन्होंने 1 बार KEC (1980), 1 बार JNP (1982), 3 बार KEC-M (1996, 2001, 2006), 1 बार निर्दलीय (2011) और 2016 में केरल कॉन्ग्रेस (M) से चुनाव जीता। उन्होंने 4 मलयालम फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें से एक में उन्हें CM, एक में नेता प्रतिपक्ष और एक में पुलिस अधिकारी का किरदार मिला था।
कुम्भ और तबलीगी जमात के बीच ओछी समानता दिखाने की लिबरलों ने की जी-तोड़ कोशिश, जानें क्यों ‘बकवास’ है ऐसी तुलना
कुम्भ और तबलीगी जमात के बीच ओछी समानता दिखाने की लिबरलों ने की जी-तोड़ कोशिश, जानें क्यों ‘बकवास’ है ऐसी तुलना
उत्तराखंड के हरिद्वार में 1 अप्रैल से कुंभ मेला चल रहा है। मेले के भव्य दृष्य को देखकर इंटरनेट पर लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। दुर्भावनापूर्ण इरादे के साथ सोशल मीडिया पर सेक्युलरों ने कुंभ की तुलना निजामुद्दीन मरकज़ के तबलीगी जमात से की है।
जबकि दोनों ही घटनाओं में साफ मूलभूत अंतर है। बावजूद इसके देश के तथाकथित सेक्युलर फैब्रिक को बचाने के नाम पर सोशल मीडिया पर एक हताशा वर्ग इसे तबलीगी जमात से जोड़ने में लगा है। ये लिबरल-वामपंथी और कट्टरपंथियों का समूह गलत सूचनाओं के आधार पर इसे कोरोना नियमों का उल्लंघन साबित करते हुए अपना प्रोपेगेंडा सेट करने में लगा है।
उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के आयोजन को सख्त नियमों के पालन के साथ अनुमति दी है। यहाँ नागरिकों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। मेले में आने से पहले लोगों को कोरोना के आरटी पीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए, जो कि 72 घंटे से अधिक पुरानी न हो। यही कारण है कि इस वर्ष भीड़ पिछले वर्षों की तुलना में बहुत कम है।
इसके अलावा उत्तराखंड में प्रवेश करने के सभी रास्तों पर सरकार ने कोविड-19 टेस्ट सेंटर बनाए हैं। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्री के पास या तो पहले से कोरोना नेगेटिव आरटी पीसीआर रिपोर्ट हो या स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसकी जाँच कराई जाएगी। हर की पौड़ी में सैनिटाइजर डिस्पेंसर लगाए गए हैं। इसके अलावा विशेष कोविड -19 आईसोलेशन सेंटर भी बनाए गए हैं।
मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है। इसीलिए, कोरोना संक्रमण संभावित संक्रमण को रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं। जबकि पिछले साल मरकज निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात वालों ने ऐसी किसी भी सावधानी का पालन नहीं किया था।
वो महामारी का शुरुआती दौर था और उस दौरान कोरोना वायरस का फैलाव उतना नहीं था, जितना अभी है। जमातियों ने कोरोना के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया था, जिस कारण हजारों लोग संक्रमित मिले थे।
मरकजी जमातियों ने जानबूझकर संक्रमण के हालात को बदतर बनाने के लिए इसे छिपाए रखा। निजामुद्दीन मरकज के लोगों ने कोरोना वायरस को देशभर में फैलाया। अधिकारियों की अपील के बावजूद मरकजी सामने नहीं आए।
लेकिन, जब प्रशासन ने इन जमातियों को ट्रेस कर लिया तो इन्होंने हिंसा की, क्योंकि ये लोग खुद को आईसोलेट नहीं करवाना चाहते थे। यहाँ तक कि जिन लोगों को अस्पतालों और आईसोलेशन सेंटरों पर रखा गया था, वहाँ भी इन शांतिदूतों ने घृणित आचरण का परिचय दिया था। इन्होंने नर्सों का यौन उत्पीड़न करने की कोशिश की और डॉक्टरों पर संक्रमण फैलाने के उद्देश्य से थूका।
तबलीगी जमात की इन्हीं हरकतों की वजह से उनकी छवि पूरी तरह से नकारात्मक हो गई। अगर तबलीगी जमातियों का मामला केवल निजामुद्दीन के मरकज तक ही सीमित होता तो शायद लोगों की संवेदनाएं इनके साथ होतीं। लेकिन, इन्होंने गाजियाबाद के अस्पताल में बहुत ही घटिया हरकत की थी। ये न केवल पूरे अस्पताल में नग्न होकर घूमते थे, बल्कि महिला स्वास्थ्यकर्मियों के साथ छेड़छाड़ की थी। जमातियों ने खुले में शौच किया और पूरे सरकारी तंत्र को चुनौती दे दी थी।
उदाहरण के तौर पर दिल्ली में कई बार जमातियों के स्वास्थ्यकर्मियों पर थूकने की घटनाएं सामने आईं। कानपुर में जमातियों ने अस्पताल के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया। कुछ स्थानों इन्होंने गोमांस तक की माँग की। ये कुछ घटनाएं हैं बाकी इनके कारनामों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है।
इसके उलट कुंभ मेले में इस तरह की कोई भी घटना नहीं हुई है। यहाँ भक्त धार्मिक आयोजनों को देखने के लिए आते हैं और धार्मिक ज्ञान का लाभ उठाते हैं। जो लोग कुंभ जैसे पवित्र मेले की तुलना जमातियों से करते हैं उन्हें इनकी हरकतों के बारे में जानना चाहिए।
इसके अलावा इस बात के भी सबूत हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण बंद स्थानों की अपेक्षा खुली जगहों में काफी कम होता है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि कुंभ मेले में भीड़ बाहर खुले आसमान के नीचे है। जबकि, मरकज निजामुद्दीन के मरकजी बिल्डिंग के अंदर थे।
https://hindi.opindia.com/opinion/media-opinion/kumbh-mela-and-tablighi-jamaat-gathering-are-not-the-same-coronavirus-covid-19/